भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बैठक का स्वागत किया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दुनिया इस संघर्ष का जल्द अंत चाहती है. भारत के स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाओं के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को धन्यवाद देते हुए एक संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “यूक्रेन में हमारे मित्रों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि से भरे भविष्य” की कामना की.
फरवरी 2022 में रूसी नेता द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करने के बाद से यह पहली अमेरिका-रूस शिखर वार्ता थी, जिसके लिए ट्रंप और पुतिन अलास्का में लगभग तीन घंटे तक मिले. दोनों नेताओं ने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए बिना ही अपनी बैठक के बाद बयान दिए और इस बात के कोई स्पष्ट संकेत नहीं थे कि दोनों पक्ष उस युद्ध को समाप्त करने के लिए कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं जिसमें यूक्रेन और रूस के दस लाख से ज़्यादा लोग मारे गए हैं या घायल हुए हैं.
भारत ने पुतिन-ट्रंप की बातचीत का किया स्वागत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि भारत पुतिन-ट्रंप के बीच बातचीत का स्वागत करता है. शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है.” उन्होंने कहा, “भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है. बातचीत और कूटनीति से ही आगे का रास्ता निकल सकता है. दुनिया यूक्रेन में चल रहे संघर्ष का जल्द अंत देखना चाहती है.”
पीएम मोदी ने शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस पर जेलेंस्की की शुभकामनाओं का सोशल मीडिया पर जवाब देते हुए कहा कि वह “भारत और यूक्रेन के बीच और भी घनिष्ठ संबंध” बनाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त प्रतिबद्धता को बहुत महत्व देते हैं. मोदी ने आगे कहा: “हम यूक्रेन में अपने मित्रों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि से भरे भविष्य की कामना करते हैं.”
Thank you President Zelenskyy for your warm greetings. I deeply value the joint commitment to forging even closer ties between India and Ukraine. We earnestly wish our friends in Ukraine a future marked by peace, progress and prosperity.@ZelenskyyUa https://t.co/g5HYuCuIRo
— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2025
जेलेंस्की ने स्वतंत्रता दिवस पर भारत के लोगों और नेतृत्व को बधाई देते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था: “हमें उम्मीद है कि भारत युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों में योगदान देगा, ताकि हमारी स्वतंत्रता और संप्रभुता वास्तव में सुरक्षित रहे.”
ट्रंप-पुतिन की बैठक पर भारत की नजर
अलास्का में वार्ता के बाद, ट्रंप ने पुतिन के साथ मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों पक्ष “कई बिंदुओं” पर सहमत हुए हैं, हालांकि कुछ मुद्दों पर वे “पूरी तरह से सहमत” नहीं हुए हैं. पुतिन ने दोनों पक्षों के बीच एक ऐसी समझ पर पहुंचने की बात कही जो उन्हें यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लक्ष्य के करीब पहुंचने और “यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करने” में मदद करेगी.
भारतीय पक्ष ने शिखर सम्मेलन पर कड़ी नजर रखी, मुख्यतः इसलिए क्योंकि ट्रम्प ने रूस से तेल की निरंतर खरीद के कारण भारत पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी. ट्रंप ने हाल ही में रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद के लिए भारत पर 25% टैरिफ लगाया था, जबकि भारतीय वस्तुओं पर भी 25% का पारस्परिक टैरिफ पहले ही लागू हो चुका है.
Statement by Official Spokesperson⬇️
🔗 https://t.co/JqRCJGLFcD pic.twitter.com/v8OFmoUSKs— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) August 16, 2025
ट्रंप का तर्क है कि भारत अपनी रूसी तेल खरीद का अधिकांश हिस्सा खुले बाजार में बेचकर और रूसी युद्ध मशीन को वित्तपोषित करके लाभ कमा रहा है. भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) पर प्रतिबंधों के मामले में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.
शिखर सम्मेलन से पहले, ट्रंप ने रूस के लिए यूक्रेन में युद्धविराम पर सहमत होने या कठोर प्रतिबंधों का सामना करने के लिए 8 अगस्त की समय सीमा तय की थी. पुतिन के साथ बैठक और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की तथा कई यूरोपीय नेताओं के साथ फोन पर बातचीत के बाद उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि “रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका सीधे शांति समझौते पर पहुंचना है, जिससे युद्ध समाप्त होगा, न कि केवल युद्धविराम समझौता.”
शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में पीएम मोदी
ट्रंप और जेलेंस्की दोनों ने घोषणा की कि वे सोमवार को वाशिंगटन में मिलेंगे और इसके बाद पुतिन के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक हो सकती है. जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर कहा, “यूक्रेन शांति स्थापित करने के लिए पूरी कोशिश के साथ काम करने की अपनी तत्परता की पुष्टि करता है. यह महत्वपूर्ण है कि अमेरिका की ताकत का स्थिति के विकास पर प्रभाव पड़े.” उन्होंने यूक्रेन, अमेरिका और रूस के बीच त्रिपक्षीय बैठक के ट्रंप के प्रस्ताव का समर्थन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच जंग की शुरुआत के बाद से पुतिन और जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत में शत्रुता समाप्त करने और बातचीत व कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया था. पुतिन और जेलेंस्की दोनों ने अलास्का में बैठक से पहले मोदी को स्थिति से अवगत कराने के लिए फ़ोन किया था.
पीएम मोदी ने पिछले साल रूस और यूक्रेन की अलग-अलग यात्राएं कीं और दोनों नेताओं से शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए बातचीत पर लौटने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी कहा कि बंदूक की आड़ में बातचीत सफल नहीं हो सकती और युद्ध के मैदान में समाधान नहीं निकाला जा सकता है.
भारत ने कभी भी सार्वजनिक रूप से रूस की कार्रवाइयों की निंदा नहीं की है और न ही संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से किए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में भाग लिया है. भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि नई दिल्ली ने मास्को और कीव के बीच संदेशों के आदान-प्रदान में भूमिका निभाई है.