ट्रंप के फैसले ने इस देश को HIV संकट में धकेला, बच्चे हो रहे हैं पीड़ित

ट्रंप के फैसले ने इस देश को HIV संकट में धकेला, बच्चे हो रहे हैं पीड़ित


डोनाल्ड ट्रंप

पूर्वी अफ्रीका में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मदद घटाने के फैसले ने लाखों लोगों की जिदगी खतरे में डाल दी है. नतीजा ये हुआ कि कई माएँ जरूरी दवा न मिलने से अपने बच्चों को एचआईवी से नहीं बचा पाईं. संक्रमण तेजी से फैल रहा है और हालात इतने बिगड़े कि कुछ महिलाओं को मजबूरी में गर्भपात तक कराना पड़ा.

ये खुलासा फिजीशियन फ़ॉर ह्यूमन राइट्स (PHR) की ताज़ा रिपोर्ट में हुआ है. इसमें तंजानिया और युगांडा के डॉक्टरों, नर्सों, मरीजों और एक्सपर्ट्स से बातचीत के आधार पर बताया गया है कि अमेरिकी प्रोग्राम Pepfar बंद होने से किस तरह लोगों की जान पर बन आई.

क्या है अमेरिकी प्रोग्राम Pepfar?

2003 में शुरू हुआ Pepfar अमेरिका का सबसे बड़ा ग्लोबल हेल्थ प्रोग्राम है. इसके तहत अफ्रीका समेत कई देशों में करोड़ों लोगों की जान बचाई. लेकिन ट्रंप प्रशासन ने 2025 के लिए तय किए गए 6 अरब डॉलर में से आधी रकम रोक दी है. रिपोर्ट के लेखक कहते हैं कि अमेरिका को तुरंत फंड बहाल करना चाहिए, ताकि पिछले 20 साल की मेहनत बर्बाद न हो.

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

जिन 39 लोगों से बातचीत की गई, उन्होंने बताया कि दवाओं की कमी से मरीजों को गंभीर संक्रमण हो रहे हैं. माएं बच्चों को दवा नहीं दे पाई, तो नवजात एचआईवी पॉजिटिव पैदा हुए. कई क्लिनिक बंद हो गए और मरीजों को मजबूरन दवा की खुराकें छोड़नी पड़ीं, जिससे दवा बेअसर होने का खतरा और बढ़ गया. एक क्लिनिक ने तो अप्रैल में बताया कि उसके यहां एचआईवी से पीड़ित हर चार गर्भवती महिलाओं में से एक का बच्चा एचआईवी पॉजिटिव पैदा हुआ.

सबसे ज्यादा नुकसान किन्हें?

जब थोड़ी राहत मिली भी, तो उसका फायदा सिर्फ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं तक सीमित रहा. लेकिन युगांडा और तंज़ानिया में पहले से ही दबाव झेल रहे समूह जैसे LGBTQ+ लोग, सेक्स वर्कर्स और ड्रग्स लेने वाले लोग पूरी तरह मदद से वंचित रह गए सरकारी अस्पतालों में इनको भेदभाव और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा.

रिपोर्ट बताती है कि लोगों का भरोसा भी हिल गया है अब उन्हें सरकारों, विदेशी मदद और एचआईवी दवाओं पर यकीन कम होता जा रहा है. डर है कि इलाज महंगा होगा और नकली इलाज बेचने वाले और सक्रिय हो जाएंगे. अफवाहों के डर से एक महिला ने गर्भपात करा लिया. उसे लगा कि अगर बच्चा एचआईवी पॉजिटिव हुआ तो उसका ही दोष माना जाएगा.