अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही जहां दुनियाभर में व्यापारिक टैरिफ को लेकर हलचल है, वहीं अब एक और बड़े फैसले ने हलचल मचा दी है. इस बार निशाने पर है अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन 2,000 से ज्यादा सीनियर NASA कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी में है, जिससे एजेंसी का भविष्य और अमेरिका की अंतरिक्ष रणनीति दोनों खतरे में पड़ सकते हैं.
NASA से हटाए जाएंगे अनुभवी लोग
Politico की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन 2,145 सीनियर रैंकिंग कर्मचारियों को हटाने की योजना बना रहा है. ये वे लोग हैं जो GS-13 से GS-15 ग्रेड के अंतर्गत आते हैं यानी तकनीकी या मैनेजमेंट विशेषज्ञ. इन लोगों में से कई ने दशकों तक NASA की सेवा की है. इन छंटनियों में से लगभग 1,818 कर्मचारी सीधे NASA के मुख्य मिशन जैसे साइंस, ह्यूमन स्पेसफ्लाइट से जुड़े हुए हैं. बाकी कर्मचारी मिशन सपोर्ट जैसे IT और प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाते हैं.
हर सेंटर पर पड़ेगा असर
पॉलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक NASA के कुल 10 प्रमुख केंद्रों में से हर एक पर इस फैसले का सीधा असर पड़ेगा. सबसे ज्यादा कटौती Goddard Space Flight Center (Maryland) में की जाएगी, जहां से 607 कर्मचारी हटाए जाएंगे. इसके बाद Johnson Space Center (Texas) में 366, Kennedy Space Center (Florida) में 311, और NASA हेडक्वार्टर (Washington) में 307 कर्मचारियों की छंटनी होगी. इसके अलावा Langley Research Center (Virginia) में 281, Marshall Space Flight Center (Alabama) में 279, और Glenn Research Center (Cleveland) में 191 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है.
मिशन रुकने का खतरा
ट्रंप सरकार की योजना के तहत अर्ली रिटायरमेंट, बायआउट और डिफर्ड रेजिग्नेशन का सहारा लिया जा रहा है. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या इतने अनुभवी लोगों की गैरमौजूदगी में NASA अपने आगामी मिशन जैसे चांद और मंगल पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यान को समय पर और सफलतापूर्वक पूरा कर पाएगा?
NASA के मुखिया की कुर्सी भी खाली
इतना ही नहीं, NASA अभी तक अपने नए एडमिनिस्ट्रेटर के बिना ही काम कर रहा है. ट्रंप प्रशासन ने अचानक अरबपति स्पेस टूरिस्ट जारेड आइजैकमैन की नॉमिनेशन वापिस ले ली, जिनका नाम खुद एलन मस्क ने सुझाया था. माना जा रहा है कि यह फैसला स्पेसX और मस्क के खिलाफ एक सियासी जवाबी हमला था. ट्रंप की ये नई नीति जहां सरकारी खर्च घटाने की कोशिश के तहत सामने आई है, वहीं ये NASA के भविष्य और अमेरिका की स्पेस सुपरपावर इमेज पर बड़ा खतरा बन सकती है.

