लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश-एट-होम विवाद के संबंध में आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठन करने की घोषणा की. इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के सीजीआई मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव, कर्नाटक हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट पी.वी. आचार्य शामिल होंगे.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, यह समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. जांच समिति की रिपोर्ट हासिल होने तक यह प्रस्ताव लंबित रहेगा. जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 146 सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने महाभियोग चलाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. इसी के बाद अब जज यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
14 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा के घर आग लगने की घटना के बाद करोड़ों की नकदी मिली थी. होली की रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में अचानक आग लग गई थी. घटना के दिन जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी घर पर मौजूद नहीं थे, वो घर से बाहर थे. आग लगने के बाद उनके परिवार ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को फोन लगाया. आग बुझाने जब फायर ब्रिगेड पहुंची तो वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डी मिली. जानकारी के मुताबिक, एक पूरा कमरा नोटों से भरा मिला था. इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन न्यायाधीशों की एक आंतरिक जांच समिति गठित की थी.
#WATCH | Lok Sabha Speaker Om Birla announces a 3-member panel to probe allegations against High Court judge Justice Yashwant Varma.
He says, “The members of the Committee include Justice Arvind Kumar, Supreme Court Judge, Justice Maninder Mohan Srivastava, Chief Justice pic.twitter.com/hKTt4PiZFt
— ANI (@ANI) August 12, 2025
SC ने खारिज की जज की याचिका
इस मामले में जज यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 7 अगस्त को जज यशवंत वर्मा की ओर से घर में नकदी कांड के संबंध में दायर एक रिट याचिका खारिज कर दी. जज वर्मा की याचिका में उस आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें घर में नकदी कांड में दोषी ठहराया गया था और पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की ओर से दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी बरामद होने के मामले में उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की गई थी.