अमृत ने बताया कि सैनिक स्कूल के अनुशासन और मेहनत ने अनिमेष के जीवन को नई दिशा दी। वर्ष 2020 में कोरोना के दौरान स्कूल बंद होने पर अनिमेष ने स्थानीय मैदान में फुटबाल खेलना शुरू किया, जिससे उसे धावक बनने की प्रेरणा मिली
अपने माता-पिता के साथ दाएं से प्रथम धावक अनिमेष। स्वजन
फुटबाल खेलना शुरू किया, जिससे धावक बनने की प्रेरणा मिली
अनिमेष के माता-पिता बलादौबाजार जिले में पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। पिता अमृत कुजूर ट्रैफिक विभाग में डीएसपी हैं, जबकि माता रीना कुजूर भी पुलिस विभाग में डीएसपी हैं। पिता की नौकरी के कारण अनिमेष अपने परिवार के साथ अंबिकापुर पहुंचे, जहां उनका दाखिला सैनिक स्कूल में कराया गया। अमृत ने बताया कि सैनिक स्कूल के अनुशासन और मेहनत ने अनिमेष के जीवन को नई दिशा दी। वर्ष 2020 में कोरोना के दौरान स्कूल बंद होने पर अनिमेष ने स्थानीय मैदान में फुटबाल खेलना शुरू किया, जिससे उसे धावक बनने की प्रेरणा मिली।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगातार मेडल जीते
खेल एवं युवा कल्याण विभाग में अनिमेष का चयन विभिन्न दौड़ प्रतियोगिताओं के लिए हुआ, जहां उसने गोल्ड मेडल प्राप्त किया। बिना प्रशिक्षण के असम के गुवाहाटी में आयोजित नेशनल गेम्स में भाग लेते हुए अनिमेष ने चौथा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद रिलायंस एकादमी ने उन्हें प्रशिक्षित किया, जिससे उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगातार मेडल जीते। अमृत कुजूर ने बताया कि उन्हें अनिमेष की उपलब्धि की जानकारी फोन पर मिली, और जब उन्हें पता चला कि अनिमेष ने गुरिंदरवीर सिंह का रिकार्ड तोड़ कर भारत के सबसे तेज धावक बन गए तो उन्हें बेटे की इस उपलब्धि पर गर्व हुआ।