संचार एवं सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा कि नेपाल में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले लगभग दो दर्जन प्लेटफ़ॉर्म को पंजीकरण के लिए बार-बार नोटिस दिए गए थे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. समाचार एजेंसी AP के मुताबिक उन्होंने कहा कि इन प्लेटफ़ॉर्म को तुरंत ब्लॉक कर दिया जाएगा.
हालांकि टिकटॉक, वाइबर और तीन अन्य प्लेटफॉर्म नेपाल में काम करना जारी रखेंगे, क्योंकि उन्होंने सरकार के साथ पंजीकरण करा लिया है.
सरकार के कदम का विरोध
नेपाल सरकार सोशल मीडिया कंपनियों पर देश के अंदर एक संपर्क कार्यालय या संपर्क केंद्र स्थापित करने का दबाव बना रहे हैं. संसद में हाल ही में एक विधेयक पेश किया गया है, जो इस बात पर जोर देता है कि सोशल मीडिया को प्रबंधित, ज़िम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाए.
ये प्रस्तावित कानून, जिस पर अभी पूरी तरह से बहस होनी बाकी है, की मानवाधिकार समूहों ने आलोचना की है, जिनका तर्क है कि इसे असहमति को सेंसर करने और ऑनलाइन विरोध प्रदर्शनों को दंडित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
उनका कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए ख़तरा है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है. अभी तक मेटा आदि सोशल मीडिया कंपनियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बैन के पीछे सरकार का तर्क
अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर निगरानी रखने और यूजर्स को उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट और शेयर की जाने वाली सामग्री के लिए जवाबदेह बनाने के लिए कड़े नियमों की जरूरत है.