लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया गया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को पेश किया। इस विधेयक में कई ऐसे प्रस्ताव हैं, जिन पर विपक्ष को आपत्ति है। इनमें से एक प्रस्ताव यह है कि वक्फ बोर्ड में महिलाएं भी शामिल हो सकेंगी। इसके अलावा गैर-मुसलमान भी इसका हिस्सा हो सकेंगे। इसी को लेकर लोकसभा में हंगामेदार बहस जारी है। इस विधेयक पर तीखी बहस भी सदन में देखने को मिली है। यूपी की रामपुर लोकसभा सीट से सपा सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा कि यह बिल मुसलमानों को टारगेट करने वाला है।
उन्होंने कहा कि आखिर हिंदू भाइयों को वक्फ संपत्ति बोर्ड में शामिल करने की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिंदू, मुस्लिम या फिर किसी भी मजहब के लोगों को अपनी संस्थाओं को चलाने का अधिकार है। यह बिल लाकर हम खुद संविधान को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। मोहिबुल्लाह ने कहा कि यदि वक्फ में गैर-मुसलमानों को शामिल करने की बात है तो सबसे पुरानी वक्फ संपत्ति तो काबा है। यही तर्क है तो क्या सऊदी अरब के काबा की समिति में भी हिंदू शामिल किए जाएंगे? उन्होंने कहा कि मैं इस बिल का पुरजोर विरोध करता हूं। मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि कहीं ऐसा न हो कि जनता अपने हकों को बचाने के लिए दोबारा सड़कों पर उतर आए।
उनसे पहले कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी बिल का विरोध किया और कहा कि यह मुसलमानों को टारगेट करने वाला है। डीएमके की सांसद कनिमोझी ने कहा कि यह संविधान का सीधे तौर पर उल्लंघन है। आर्टिकल 30 कहता है कि अल्पसंख्यक समुदाय को अपने संस्थानों का संचालन करने का अधिकार है। आखिर किसी धार्मिक संस्था में ऐसे लोग कैसे शामिल हो सकते हैं, जिनकी उसमें कोई आस्था ही न हो। यह एक धर्म के लोगों को भी निशाने पर लेने वाला है, जो संविधान के आर्टिकल 14 का भी उल्लंघन है। एनसीपी-शरद पवार की सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस विधेयक का विरोध किया।