ऑपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) अब महिलाओं का एक खास ब्रिगेड बना रहा है. जैश ने अपनी पहली महिला विंग का नाम ‘जमात अल-मुमिनात’ रखा है. महिला आतंकियों की इस ब्रिगेड की जिम्मेदारी जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर को सौंपी है. मसूद अजहर के नाम से जारी एक लेटर में इसका खुलासा हुआ है. नई ब्रिगेड के लिए भर्ती 8 अक्टूबर को पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली में शुरू भी हो गई है.
सादिया अजहर का पति यूसुफ अजहर 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारा गया था. तब इंडियन आर्मी ने बहावलपुर के मरकज सुभानअल्लाह स्थित जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर पर हमला किया था. मसूद अजहर ने स्वीकार किया कि ऑपरेशन सिंदूर में उसके परिवार के 14 सदस्य मारे गए थे, जिनमें उसकी बड़ी बहन और उसका पति, पांच बच्चे, भतीजा, भतीजे की पत्नी और भांजी शामिल थे. हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि सादिया बड़ी बहन हैं या कोई दूसरी बहन.
जैश कमांडर्स की पत्नियों की भी भर्ती
मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने जैश-ए-मोहम्मद में ऑपरेशन महिलाओं को शामिल करने को मंजूरी दी थी. यह संगठन बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा स्थित ट्रेनिंग सेंटर्स में जैश-ए-मोहम्मद कमांडरों की पत्नियों की भर्ती कर रहा है. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को भी भर्ती के लिए लालच दे रहा है. पहले जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं के सशस्त्र अभियानों में शामिल होने से रोक लगा रखी थी. लेकिन भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसने अपनी रणनीति में बदलाव किया है.
किन संगठनों में पहले से महिला विंग
कहा जा रहा है कि अब जैश-ए-मोहम्मद महिला आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षित और तैनात कर सकता है. ISIS, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे संगठन महिलाओं को लड़ाकू अभियानों में इस्तेमाल करते रहे हैं. हालांकि लश्कर-ए -तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन ऐसा करने से बचते रहे हैं.
2024 से महिलाओं का ब्रेन वॉश कर रहा जैश
सूत्रों का कहना है कि यह ग्रुप साल 2024 के बाद से ही एक्टिव है और इसका मकसद महिलाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें अपने नेटवर्क में शामिल करना है. इस ब्रिगेड को जैश की महिला विंग के तौर पर तैयार किया गया है, जो साइकोलॉजिकल वारफेयर, यानी मानसिक तौर पर असर डालने वाले प्रचार और ग्राउंड लेवल पर भर्ती का काम कर रहा है.