क्या है योजना?
कोल इंडिया लिमिटेड अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) के तहत इन 68 एकलव्य मॉडल स्कूलों में 10 करोड़ रुपये खर्च करेगा. इस पहल का मकसद राज्य के आदिवासी बच्चों को पढ़ाई, उनकी सेहत और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए बेहतर सुविधाएं देना. आइए ये भी जानते हैं कि ये पैसा किन चीजों पर खर्च होगा.
अब इन स्कूलों में आदिवासी समुदाय के बच्चों को डिजिटल पढ़ाई के लिए कंप्यूटर और टैबलेट मुहैया कराए जाएंगे. इसके तहत 3200 कंप्यूटर और 300 टैबलेट बच्चों को दिए जाएंगे. स्कूलों में कंप्यूटर लैब भी बनाई जाएंगी. स्कूल में बच्चों की सेहत और स्वच्छता का भी ख्याल रखा जाएगा. इसके लिए स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें और इंसिनरेटर लगाए जाएंगे.
भविष्य की तैयारी और गाइडेंस
सरकार की ये पहल केवल स्कूली शिक्षा तक ही सीमित नहीं रहेगा. स्टूडेंट्स को आगे की पढ़ाई और करियर से संबंधित सलाह और मदद भी मिलेगी. इसके तहत स्टार्टअप की भी ट्रेनिंग दी जाएगा. यहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए आईआईएम, आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों में स्टार्टअप से संबंधित कैंप होंगे.
इससे छात्रों को कितना फायदा?
इस पहल से आदिवासी समुदाय के बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य और आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा. ये पहल शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को भी पूरा करेगी. यानी की हर बच्चे को समान अवसर मिलेंगे. ये योजना राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम नाम की सरकारी संस्था चलाएगी.