इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और उसकी रेड आजकल काफी चर्चा में है. वैसे ये चर्चा अजय देवगन की फिल्म रेड-2 की वजह से है. लेकिन आज जो हम चर्चा करने जा रहे हैं, वो रील स्टोरी की नहीं बल्कि रियल लाइफ की है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पॉलिटिकल डोनेशंस, ट्यूशंस फीस और मेडिकल खर्च के नाम पर टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया है. डिपार्टमेंट देश के अलग-अलग 200 जगहों पर रेड मारी है.
जानकारी के अनुसार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोमवार को देश भर में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया, जिसमें फर्जी टैक्स डिडक्शन में मदद करने के आरोपी लोगों और संस्थाओं को निशाना बनाया गया. वर्तमान में 200 से ज्यादा ऐसे लोगों से जुड़े कैंपस पर छापेमारी चल रही है, जिन्होंने कथित तौर पर टैक्सपेयर्स को राजनीतिक चंदे, ट्यूशन फीस और मेडिकल खर्च सहित विभिन्न मदों में फेक डिडक्शन क्लेम करने में मदद की थी.
क्या है आरोप?
इस अभियान में मुख्य रूप से धारा 80GGC के तहत क्लेम किए गए डिडक्शन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे को टैक्सेबल इनकम से घटाने में मदद करता है. इंवेस्टीगेटर्स का आरोप है कि कई बिचौलिये फर्जी दान की व्यवस्था कर रहे हैं-कभी-कभी बिना रजिस्टर्ड या संदिग्ध संस्थाओं के माध्यम से—ताकि टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स देनदारी कम करने में मदद मिल सके. राजनीतिक दान के अलावा, छापे उन नेटवर्कों पर भी निशाना साध रहे हैं जिन पर ट्यूशन फीस, मेडिकल रीइंबर्समेंट और अन्य डिडक्टेबल एक्सपेंसिस पर फेक क्लेम करने का आरोप है.
क्यों की जा रही है सख्ती?
ये सर्च ऑपरेशन ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत कटौतियों के व्यापक दुरुपयोग को रोकने के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रयास का हिस्सा हैं. अधिकारियों ने बताया कि कई करदाता बिना पर्याप्त दस्तावेजों के अपने क्लेम को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए कागज रहित इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की सुविधा का फायदा उठा रहे हैं. यह कार्रवाई विभाग के हालिया NUDGE कैंपेन के बाद हुई है, जिसमें टैक्सपेयर्स को उनके रिटर्न में संदिग्ध या अप्रमाणित कटौतियों के बारे में पहले से सूचित किया गया था और उन्हें जुर्माने से बचने के लिए स्वेच्छा से संशोधित या अपडेट रिटर्न दाखिल करने की सलाह दी गई थी.