इंदौर में पूर्वी रिंग रोड के निर्माण के लिए 5500 पेड़ों की कटाई की जाएगी। यह रोड 77 किमी लंबा होगा और इसमें 50 हेक्टेयर वन क्षेत्र शामिल होगा। एनएचएआई ने इस प्रोजेक्ट के लिए सर्वे शुरू कर दिया है और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 40 महीने का समय निर्धारित किया गया है।
पूर्वी आउटर रिंग रोड के लिए डकाच्या से लेकर पीथमपुर के बीच सड़क बनाई जाएगी। निर्माण कार्य पर चार हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रदेश सरकार ने सड़क बनाने की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को सौंपी है। 38 गांवों से होकर सड़क निकलेगी, मगर अभी जमीन चिह्नित करने की प्रक्रिया जारी है। खास बात यह है कि निजी के बजाय सरकारी जमीन से मार्ग को निकालने में प्राथमिकता रखी गई है।
दो हिस्सों में बनेगी सड़क
पूर्वी रिंग रोड को डकाच्या से लेकर पीथमपुर तक बनाया जाएगा। मार्ग कुल 38 गांवों से होकर निकलेगा, जिनमें कंपेल, खुड़ैल, तिल्लौर, बड़गोंदा और पीथमपुर जैसे प्रमुख गांव शामिल हैं। खास बात यह है कि सड़क बनाने के लिए प्राथमिकता सरकारी जमीन को दी जा रही है, ताकि निजी भूमि अधिग्रहण कम से कम करना पड़े। अधिकारियों के मुताबिक सड़क दो हिस्सों में बनेगी। पहला हिस्सा करीब 38 किलोमीटर और दूसरा हिस्सा 39 किलोमीटर का होगा।
40 महीने की समयसीमा
सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए समय सीमा भी तय कर दी है। मार्च 2028 से पहले सड़क पूरी तरह तैयार करनी है। निर्माण कार्य के लिए कुल 40 महीने का समय निर्धारित किया गया है। अभी फिलहाल प्रोजेक्ट में सर्वे, जमीन अधिग्रहण, डिजाइन और निर्माण एजेंसी तय करने जैसे काम बाकी हैं।
- इंदौर-खंडवा-एदलाबाद मार्ग के लिए 9640 पेड़ काटे गए हैं। इंदौर और बड़वाह वनमंडल की 78 हेक्टेयर वनभूमि आई है।
- पश्चिमी रिंगरोड में 48 हेक्टेयर जंगल की जमीन से रास्ता निकाला जा रहा है, जिसमें पांच हजार पेड़ काटे जाएंगे।
- महू-खंडवा गेज परिवर्तन का काम किया जा रहा है। जंगल की जमीन से डेढ़ लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे।
जमीन-पेड़ चिह्नित होना बाकी
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रवीण यादव का कहना है कि प्रोजेक्ट को लेकर इन दिनों सर्वे चल रहा है। जमीन और पेड़ों को चिह्नित किया जा रहा है। सर्वे पूरा होते ही वनभूमि के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे, जबकि राजस्व जमीन को लेकर अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेंगे। वे बताते हैं कि पूर्वी रिंग रोड न केवल यातायात का दबाव कम करेगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर और धार्मिक नगरी उज्जैन के बीच सीधा और तेज संपर्क भी स्थापित करेगा।