अमेरिका में सेना में दाढ़ी पर लगा बैन
अमेरिका की ट्रंप सरकार ने फौज को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से अब अमेरिका के सिखों की टेंशन बढ़ गई है. अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने एक नया आदेश जारी किया है. 30 सितंबर को जारी इस सख्त ग्रूमिंग नीति के तहत अमेरिकी सेना अब सैनिक दाढ़ी नहीं रख सकते हैं.
अमेरिका सेना में 2010 से पहले के नियमों की वापसी की गई है. यानी ज्यादातर सैनिकों के लिए दाढ़ी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सिर्फ कुछ स्पेशल फोर्सेज यूनिट्स को सीमित छूट दी जाएगी.
हेगसेथ ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह कदम अनुशासन और युद्धक क्षमता (lethality) को बहाल करने के लिए जरूरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि सेना में अनुचित व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और बेतुके शेविंग प्रोफाइल्स को खत्म किया जाएगा.
60 दिन के अंदर होगा लागू
पेंटागन के मेमो के अनुसार, सभी सैन्य शाखाओं को इस नीति को 60 दिनों के अंदर लागू करना होगा. इसमें स्पष्ट किया गया है कि सैनिक फेशियल हेयर (दाढ़ी) नहीं रख सकते हैं. दरअसल, 2010 से अब तक धार्मिक स्वतंत्रता के लिए दाढ़ी रखने के लिए ढील दी गई थी. लेकिन, इसको अब लगभग समाप्त कर दिया गया है.
धार्मिक समुदायों पर प्रभाव
यह नया नियम उन सैनिकों को सीधे प्रभावित करता है जो धार्मिक कारणों से दाढ़ी रखते हैं — जैसे सिख, ऑर्थोडॉक्स यहूदी और मुस्लिम समुदाय के लोग.
सिख कोएलिशन, जो एक प्रमुख वकालत संगठन है, उसने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह सैकड़ों धार्मिक सैनिकों को अपने धार्मिक विश्वास और अपने देश की सेवा में से एक को चुनने के लिए मजबूर करेगा.
2010 के बाद मिली थी अनुमति
2010 से पहले तक अमेरिकी सेना में सिख सैनिकों को दाढ़ी और पगड़ी पहनने की अनुमति नहीं थी, क्योंकि सेना के नियम सभी सैनिकों के लिए क्लीन-शेव चेहरा रखने की इजाजत देते थे. इस वजह से कई सिख युवाओं को अपने धर्म और सेना में सेवा करने के सपने के बीच चुनाव करना पड़ता था.
हालांकि, वर्षों तक चली कानूनी लड़ाइयों और मानवाधिकार अभियानों के बाद हालात बदलने लगे. कई सिख सैनिकों ने अदालतों और कांग्रेस के सामने दलील दी कि उनकी धार्मिक पहचान—जैसे पगड़ी और दाढ़ी—को बनाए रखना उनके विश्वास का अभिन्न हिस्सा है, इसे छीनना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
धीरे-धीरे अदालतों ने सिख सैनिकों को व्यक्तिगत छूट (waiver) के तहत अपनी पहचान बनाए रखते हुए सेना में शामिल होने की अनुमति दी. ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती गई, और फिर 2017 में अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस नीति को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया.
इस बदलाव के बाद सैकड़ों सिख, मुस्लिम और यहूदी सैनिकों को सेना में अपनी धार्मिक पहचान के साथ सेवा करने का मौका मिला. जिससे यह फैसला अमेरिकी सैन्य इतिहास में धार्मिक समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना गया. हालांकि, अब एक बार फिर सेना में दाढ़ी बैन हो जाने से सिख, यहूदी और मुस्लिमों की टेंशन बढ़ गई है.
अफ्रीकी-अमेरिकी सैनिकों पर असर
यह नीति उन ब्लैक सैनिकों (Black troops) को भी प्रभावित करेगी जिन्हें Pseudofolliculitis Barbae (PFB) नामक दर्दनाक त्वचा रोग के कारण मेडिकल छूट दी जाती थी.
अब ये छूट 12 महीने तक सीमित कर दी गई है — उसके बाद सैनिकों को उपचार योजना पूरी करनी होगी, वरना उन्हें सेवा से हटाए जाने (involuntary separation) का खतरा रहेगा.
आलोचना और विवाद
नागरिक अधिकार समूहों, पूर्व सैनिक और धार्मिक संगठनों ने इस नीति को भेदभावपूर्ण और धार्मिक स्वतंत्रता पर बड़ा प्रहार बताया है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन (First Amendment) के तहत सरकार को यह साबित करना होगा कि दाढ़ी रखने से सेना की सुरक्षा को गंभीर नुकसान होता है जो अब तक किसी भी अदालत में सिद्ध नहीं हुआ है.