आज की दुनिया में तेल सिर्फ गाड़ी चलाने का साधन नहीं, बल्कि एक बड़ा कूटनीतिक हथियार बन चुका है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक समीकरणों को हिलाकर रख दिया है और अब अमेरिका ने भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को सख्त चेतावनी दी है. अगर ये देश रूस से सस्ता तेल खरीदते रहे, तो उनकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.
रूस से तेल खरीदा तो कर देगें तबाह
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने हाल ही में फॉक्स न्यूज पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने भारत, चीन और ब्राजील को निशाने पर लेते हुए कहा, अगर आप लोग रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को और हवा देते रहे, तो हम आपकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देंगे. ग्राहम का कहना है कि ये तीनों देश रूस के करीब 80% तेल खरीद रहे हैं, जिससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जंग मशीनरी को पैसे मिल रहे हैं.
उन्होंने इसे “ब्लड मनी” यानी खून से सना पैसा तक कह डाला. ग्राहम का मानना है कि रूस से तेल खरीदकर ये देश न सिर्फ अपने फायदे देख रहे हैं, बल्कि गलत तरीके से पुतिन का साथ दे रहे हैं.
यूएस सीनेटर लिंडसे ग्राहम
500% टैरिफ का प्लान भी तैयार
सीनेटर लिंडसे ग्राहम और रिचर्ड ब्लूमेंथाल ने मिलकर अमेरिकी संसद में एक बिल पेश किया है, जो रूस से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर सख्ती बरतने की बात करता है. इस बिल में 500% तक टैरिफ लगाने की बात कही गई है. यानी, अगर भारत, चीन या ब्राजील रूस से तेल खरीदते रहे, तो उनके सामान पर इतना भारी टैक्स लग सकता है कि उनकी अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगे.
ग्राहम ने कहा, हम चाहते हैं कि पुतिन को समझ आए कि अब खेल बदल चुका है. उनका दावा है कि ये बिल न सिर्फ रूस को, बल्कि उसके व्यापारिक साझेदारों को भी सबक सिखाएगा. इस बिल को अमेरिकी संसद में 85 सांसदों का समर्थन मिला है, जो इसे और मजबूत बनाता है.
ट्रंप ने पुतिन को बताया ‘तगड़ा खिलाड़ी’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस मामले में पीछे नहीं हैं. NATO के सेक्रेटरी जनरल मार्क रट के साथ एक मुलाकात में उन्होंने साफ-साफ कहा, अगर अगले 50 दिनों में पुतिन ने यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं किया, तो रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 100% टैरिफ (आयात कर) लगाया जाएगा.
ट्रंप ने पुतिन को “तगड़ा खिलाड़ी” बताते हुए ये भी कहा कि पुतिन ने क्लिंटन, बुश, ओबामा और बाइडन जैसे नेताओं को चकमा दिया लेकिन वो ट्रंप को बेवकूफ नहीं बना सकते. उनका मकसद रूस को आर्थिक तौर पर कमजोर करना और उसे शांति वार्ता की मेज पर लाना है. ट्रंप का कहना है कि ये टैरिफ सिर्फ सजा नहीं, बल्कि रूस को मजबूर करने का एक तरीका है.
भारत पहले ही दे चुका है जवाब
भारत ने इस चेतावनी पर अपनी सफाई दी है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत रूस से तेल अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखकर खरीद रहा है. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर सीनेटर ग्राहम के साथ भारतीय दूतावास और राजदूत ने बातचीत की है. जयशंकर का कहना है, हमने अपनी चिंताओं और हितों को उनके सामने रखा है. अगर जरूरत पड़ी, तो हम इस मसले पर और विचार करेंगे. भारत का रुख साफ है कि वो अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देगा, लेकिन साथ ही वैश्विक कूटनीति में भी संतुलन बनाए रखना चाहता है.

