अमेरिका-इजराइल के बाद अब ईरान की रडार पर ये मुस्लिम देश, बॉर्डर पर तैनात किए सैनिक

अमेरिका-इजराइल के बाद अब ईरान की रडार पर ये मुस्लिम देश, बॉर्डर पर तैनात किए सैनिक
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई

ईरान के इजराइल-अमेरिका से संघर्ष को अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है कि एक और देश ईरान की रडार में आ गया है. अजरबैजान एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिससे कॉकस (Caucasus) में अशांति पैदा हो सकती है. अजरबैजान के प्रस्तावित ज़ंगेजुर कॉरिडोर का मकसद ईरान से होकर गुजरने वाले मौजूदा रास्ते को दरकिनार करते हुए, आर्मेनिया के दक्षिणी स्यूनिक प्रांत से होते हुए अपनी मुख्य भूमि को नखचिवन एक्स्क्लेव से जोड़ना है. ये रास्ता अजरबैजान को ईरान के बिना यूरोप-एशिया से जोड़ेगा.

ईरानी रास्ते के बदल में बाकू इस कॉरिडोर पर नियंत्रण चाहता है, जिससे आर्मेनिया की संप्रभुता कमजोर होगी और ईरान के साथ उसकी ऐतिहासिक सीमाएं बदल जाएंगी. ईरान इसका पहले भी विरोध कर चुका है.

2020 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध में अजरबैजान की जीत के बाद इस विचार को ताकत मिली, जिसने बाकू को 1990 के दशक से आर्मेनिया के कब्जे वाले क्षेत्रों को फिर हासिल कराया था. हालांकि शांति समझौते में नए परिवहन संपर्कों का उल्लेख था, लेकिन इसने अजरबैजान को अर्मेनियाई भूमि पर नियंत्रण नहीं दिया है.

पिछले साल ईरान ने सेना तैनात कर रोक दी थी योजना

तुर्की और अजरबैजानी नेताओं ने 2023-2024 में इस योजना को आगे बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन आर्मेनिया के पास ईरान ने अपनी सेना तैनात कर कथित तौर पर उन्हें रोक दिया. हालांकि, बाकू और अंकारा वैकल्पिक रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें अमेरिकी भागीदारी भी शामिल है. हाल ही में, तुर्की में अमेरिकी राजदूत ने सुझाव दिया कि वाशिंगटन इस कॉरिडोर का निर्माण और प्रबंधन कर सकता है, जिससे अलीयेव को किसी भी समझौते को अस्वीकार करने का साहस मिला.

ईरान ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर का कड़ा विरोध करता है और इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव के लिए खतरा मानता है. कई जानकारों का मानना है कि इस कॉरिडोर का मकसद ईरान और रूस को अलग-थलग करना, अलगाववाद को भड़काना और जमीनी नाकाबंदी लागू करना है.

ईरान ने तैनात की सेना

जैसे ही इस प्रोजेक्ट की फिर से बात शुरू हुई ईरान ने अपनी सीमा को मजबूत किया है और सक्रिय रोकथाम की नीति अपनाई है, जिससे संकेत मिलता है कि अगर यह योजना आगे बढ़ती है तो सैन्य टकराव हो सकता है.