राष्ट्रपति पुतिन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया है कि वो इस साल दिसंबर की शुरुआत में होने वाली अपनी भारत यात्रा को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने इस मौके से पहले रूस की सरकार को एक अहम निर्देश भी दिया है, भारत के साथ व्यापार असंतुलन को कम किया जाए. पुतिन का ये बयान ऐसे समय आया है जब भारत रूस से भारी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीद रहा है, लेकिन बदले में रूस भारत से कम सामान मंगा रहा है.
पुतिन ने कहा कि रूस अब भारत से ज्यादा कृषि उत्पाद, दवाइयां और अन्य वस्तुएं खरीदने की योजना बना रहा है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार का संतुलन बेहतर किया जा सके. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस असंतुलन को खत्म करने के लिए रूस को कदम उठाने होंगे और सरकार को इस पर काम करने के लिए कहा गया है.
भारत से हमारे संबंध कभी खराब नहीं हुए
रूस के दक्षिणी शहर सोची में आयोजित वल्दाई डिस्कशन क्लब में बोलते हुए पुतिन ने भारत-रूस रिश्तों की खासियत पर भी रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच कभी कोई तनाव या विवाद नहीं रहा है. उन्होंने याद दिलाया कि भारत की आजादी के संघर्ष के समय से ही रूस (उस समय सोवियत संघ) भारत का भरोसेमंद साथी रहा है.
पुतिन ने कहा कि भारत ने रूस की मदद को कभी नहीं भुलाया और आज भी दोनों देशों के बीच मजबूत समझदारी और भरोसे का रिश्ता कायम है. उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना “मित्र” बताया और कहा कि वे मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को “संतुलित, समझदार और देशहित में काम करने वाली” सरकार मानते हैं.
अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत ने निभाई दोस्ती
राष्ट्रपति पुतिन ने इस बात की भी तारीफ की कि भारत ने अमेरिका के भारी दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखा. उन्होंने कहा कि इस फैसले से भारत को न सिर्फ आर्थिक फायदा हुआ, बल्कि उसकी एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र की छवि भी मजबूत हुई.
उनका कहना था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए दंडात्मक टैक्स भारत के लिए नुकसानदेह हो सकते थे, लेकिन भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर इस नुकसान की भरपाई कर ली. पुतिन ने इसे एक साहसिक और दूरदर्शी कदम बताया.
रूस अब भारत से खरीदेगा और ज्यादा सामान
पुतिन ने कहा कि रूस अब भारत से ज्यादा मात्रा में अनाज, फल, सब्जियां और दवाइयां खरीदना चाहता है. उन्होंने यह भी माना कि भारत-रूस व्यापार में भुगतान और लॉजिस्टिक्स जैसी कई चुनौतियां हैं, लेकिन इन समस्याओं को सुलझाकर दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूती दी जा सकती है.