)
इस पूरे साल दाम तो बढ़े नहीं उलटे और घट गए। सितंबर अंत में सोयाबीन की नई फसल आ जाएगी। ऐसे में दाम जमीन पर आने की आशंका है। परेशान किसान आंदोलन की राह पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। 2021 में सोयाबीन के भाव 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। जबकि इंदौर की मंडी में सोयाबीन के दाम इस समय करीब चार हजार रुपये क्विंटल है।
6 हजार रुपये से ऊपर जाने की थी उम्मीद
2023 में ठीक अगस्त में सोयाबीन के दाम पांच हजार रुपये क्विंटल थे। 2022 अगस्त में सोयाबीन 5800 रुपये से 6000 रुपये क्विंटल बिका था। 2021 के बेहतर दामों का अनुभव ले चुके किसानों को उम्मीद थी कि दाम बढ़ेंगे और 6000 रुपये से ऊपर उन्हें कीमत मिलेगी।
एक हजार रुपये घट गई कीमत
इसी उम्मीद में तमाम किसानों ने बीते साल की अपनी उपज स्टॉक कर लिया। हालांकि पूरा साल निकलने के बाद भी दाम नहीं बढ़े। उलटे कीमत करीब एक हजार रुपये प्रति क्विंटल और घट गई। ताजा आंकड़ों के अनुसार इस खरीफ सीजन में सोयाबीन की देश में बुवाई का क्षेत्रफल भी 125 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
दो सामान्य तौर पर 123 लाख हेक्टेयर माना जाता है। यानी सितंबर-अक्टूबर में आने वाली नई उपज भी बंपर होने के आसार हैं। ऐसे में अगले महीनों में सोयाबीन के दाम और घटने की आशंका है। किसानों को अब समझ नहीं आ रहा है कि नई के साथ पुरानी फसल का वे क्या करें?
उद्योग भी डरा
किसानों की परेशानी भांप कर तेल उद्योग भी डरा हुआ है। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तेल मिलें हैं। हालांकि उनमें भी सोयाबीन की खरीद व क्रशिंग कम हो रही है। 2021-22 में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने के बाद सरकार ने सोयाबीन वायदा पर प्रतिबंध लगाया था व खाद्य तेलों के आयात की अनुमति दे दी। दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया ने केंद्र सरकार से मांग की है कि खाद्य तेलों के आयात पर ड्यूटी बढ़ानी चाहिए।
दो साल का था स्टॉक
भारतीय किसान संघ के इंदौर महानगर अध्यक्ष दिलीप मुकाती के अनुसार दो साल का सोयाबीन भी किसानों ने स्टॉक कर रखा था। उम्मीद थी कि दाम छह हजार रुपये तक होंगे तो बेचेंगे। उलटे दाम घट गए। सरकार ने 2019-20 में प्रति क्विंटल सोयाबीन पर 500 रुपये देने की घोषणा की थी। वह भी नहीं मिले। एक सप्ताह बाद हम बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।