जीएसटी के दायरे में आ सकता है ATF, पेट्रोल-डीजल पर क्या सोच रही सरकार?

जीएसटी काउंसिल की आज होने वाली बैठक में बीमा प्रीमियम समेत ऑनलाइन गेमिंग और कार्ड से लेनदेन के टैक्सेशन पर चर्चा हो सकती है। वहीं, केंद्र सरकार देश को प्रतिस्पर्धी विमानन केंद्र बनाने के मकसद से विमानन ईंधन (ATF) को माल एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने के लिए आम सहमति बनाकर एटीएफ की कीमतों में कमी लाने के तरीकों पर विचार कर रही है। दूसरी ओर पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, क्योंकि ये राज्यों के राजस्व के प्रमुख स्रोत हैं।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले तीन लोगों के अनुसार रणनीतिक योजना में करों को कम करने और एयरलाइंस और तेल कंपनियों सहित प्रमुख हितधारकों के लिए कर प्रोत्साहन की अनुमति देने के लिए राज्यों के साथ चर्चा शामिल है। नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने कहा कि राजस्व में नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों के मुआवजे पर भी विचार किया जा सकता है। नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और वित्त मंत्रालयों को देश में एटीएफ की कीमत असमानता को दूर करने के लिए समाधान निकालने का काम सौंपा गया है।

कार्ड के जरिए लेनदेन हो सकता है महंगा

माना जा रहा है कि कार्ड के जरिए लेनदेन महंगा हो सकता है, क्योंकि पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि दो हजार से कम के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन (क्रेडिट व डेबिट कार्ड) पर टैक्स की दर बढ़ सकती है। जीएसटी परिषद पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है, जिसको लेकर फिटमेंट कमेटी ने भी सिफारिश की है। पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियां व्यापारियों से हर लेनदेन पर 0.5 से दो फीसदी तक शुल्क लेती है।

अगर जीएसटी लगाया जाता है तो कंपनियां उसका बोझ व्यापारियों पर डाल सकती हैं और व्यापारियों द्वारा इसका बोझ ग्राहकों पर डाला जा सकता है।ध्यान रहे कि देश में करीब 80 फीसदी लेनदेन दो हजार रुपये से कम की धनराशि के होते हैं। उसका भार ग्राहकों की जेब पर भी पड़ेगा। हालांकि, यूपीआई से लेनदेन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अभी यूपीआई से लेनदेन पर जीएसटी लगाने की कोई चर्चा नहीं है।

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