जावेद अख्तर ने पिछले 60 सालों पहन रखा है सिखों के 5 ककार में से ये एक ककार, बोले-ये मेरी मौत तक मेरे साथ रहेगा


आज हम आपको हिंदी सिनेमा के जाने-माने स्क्रीन राइटर और लिरिसिस्ट जावेद अख्तर का किस्सा सुनाने जा रहे हैं। फिक्र मत कीजिए! ये किस्सा, उन किस्सों से बहुत अलग है जो आप आज तक जावेद अख्तर के बारे में सुनते आ रहे हैं। दरअसल, ये बात तब की है जब जावेद अख्तर 16 साल के थे। जावेद अख्तर ने अपने घर से रिश्ता तोड़ लिया था। ऐसे में उनके पास न रहने के लिए कोई जगह थी और पढ़ने के लिए पैसे थे। 

जब ये बात उनके दोस्त मुश्ताक सिंह को पता चली तब उन्होंने जावेद को अपने पास बुलाया और कहा, ‘जब तक कोई इंतजाम नहीं होता है मेरे साथ रह लो।’ जावेद अख्तर तीन साल तक मुश्ताक के साथ ही रहे। उनके कॉलेज की फीस और खाने-पीने का खर्चा भी मुश्ताक ने ही उठाया। लेकिन, 1964 में दोनों को अलग होना पड़ा।

ग्रेजुएट होने के बाद जावेद अख्तर ने मुंबई शिफ्ट होने का निर्णय लिया। वहीं मुश्ताक ने ग्लासगो (स्काटलैंड) जाने का फैसला लिया। बिछड़ने से पहले जब जावेद और मुश्ताक की मुलाकात हुई तक मुश्ताक ने अपने हाथ से कड़ा निकाला और जावेद के हाथ में पहना दिया। उस बात को 60 साल हो गए। जावेद आज भी उस कड़े को अपनी कलाई पर सजा कर रखते हैं। जब जावेद से इस कड़े के बारे में पूछा गया था तब उन्होंने ‘वी आर युवा’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मेरी मौत तक ये कड़ा मेरे हाथ में रहेगा।”

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